कई वर्षों की योग साधना और नौ वर्षों की तपस्या के बाद योगिराज श्री मनोहर हरकरे (पूज्य काकाजी) को संत ज्ञानेश्वर का साक्षात्कार हुआ। संत ज्ञानेश्वर महाराज की प्रेरणा से
अधिक जानते हैंआज समाज अनावश्यक रूप से तथाकथित संस्कृतियों, धर्मों, संप्रदायों आदि में बँटा हुआ है। यह वैज्ञानिक वैदिक संस्कृति के माध्यम से अपनी एकता पुनः प्राप्त कर सकता है। केवल वैदिक परंपरा ही इन्हें एकजुट करने में सक्षम है। सभी को यह जानना चाहिए कि प्राचीन विश्व वास्तव में वैदिक (अर्थात प्रबुद्ध) था। ज्ञान की इस परंपरा को विश्व में पुनः स्थापित किया जा सकता है; और यही ‘वैदिक विश्व’ का उद्देश्य है।
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