इस पुस्तक में काकाजी बताते हैं कि प्रत्येक साधक किस प्रकार दिव्य अनुभव अथवा दिव्यानुभूति प्राप्त कर सकता है और योग-सिद्धियाँ हासिल कर सकता है। यह एक योग-साधक की अत्यंत विशिष्ट और महत्वपूर्ण अवस्था है। हमारा शरीर पाँच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—से बना है। प्रत्येक मानव में इन पाँच तत्वों में से कोई एक तत्व प्रमुख होता है। यही उसके शरीर की प्रकृति और क्षमता का निर्धारण करता है। काकाजी ने दिव्य अनुभूतियाँ प्राप्त करने के लिए उपयुक्त साधना का वर्णन किया है। ये दिव्य अनुभूतियाँ क्रमिक अवस्थाओं में प्राप्त होती हैं। एक-एक करके इन अवस्थाओं का अनुभव करते हुए साधक अंततः दिव्यानुभूति तक पहुँचता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया की वैज्ञानिक व्याख्या भी इस पुस्तक में की गई है।
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