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विश्वदर्शन योगेश्वर गोपाल कृष्ण

वैदिक परंपरा में मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके शरीर और मन पर कुछ संस्कार किए जाते हैं, जैसे—नामकरण, अन्नप्राशन, उपनयन, विद्यारंभ, विवाह, गृहस्थाश्रम, अंत्येष्टि आदि। कुल मिलाकर ऐसे सोलह संस्कार होते हैं, जिनमें से कुछ जन्म से पहले तथा कुछ मृत्यु के बाद भी किए जाते हैं, जैसे—गर्भाधान, श्राद्ध आदि। इन संस्कारों के पीछे दिव्य ज्ञान और विज्ञान निहित है, जिसका वर्णन हमारे ऋषियों ने प्राचीन ग्रंथों में किया है।

पहली बार योगी मनोहरजी ने इन सोलह षोडश संस्कारों तथा उनमें निहित ज्ञान और विज्ञान की विस्तृत जानकारी इस ‘षोडश संस्कार’ पुस्तक में प्रस्तुत की है। इसे पढ़ने के बाद ही यह समझ में आता है कि ये मूल्य जीवन में क्यों आवश्यक हैं। यदि मनुष्य इस प्रकार से अपना जीवन व्यतीत करे, तो उसका जीवन सफल, समृद्ध और अंततः पूर्ण बन सकता है। योगी मनोहरजी द्वारा लिखित इस पुस्तक में इन सोलह संस्कारों में छिपे सम्पूर्ण ज्ञान और विज्ञान की व्याख्या की गई है। यह ज्ञान हमारी वैदिक परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आज की नई पीढ़ी इन सभी मूल्यों को भूलती जा रही है। ऐसे समय में योगी मनोहरजी की यह पुस्तक एक वरदान के समान है, जिसे पढ़कर नई पीढ़ी भी श्रद्धा के साथ वैदिक परंपरा को अपनाएगी। यह पुस्तक सभी के लिए पढ़ना आवश्यक है। यह पुस्तक हिंदी और मराठी भाषाओं में उपलब्ध है।

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