‘संगीत से समाधि’ संगीत के क्षेत्र में अपनी तरह की एकमात्र पुस्तक है, जो संगीत के वास्तविक उद्देश्य को शास्त्रीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सरल भाषा में समझाती है। पूज्य योगी मनोहरजी ने इस पुस्तक की रचना अपने दिव्य अनुभवों के आधार पर की है। इसलिए यह पुस्तक साधक को एक अद्भुत और गहन अवस्था तक ले जाती है तथा गहन चिंतन के लिए प्रेरित करती है। यह पुस्तक संगीत और आध्यात्म के अविच्छिन्न संबंध को उजागर करती है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद सभी को यह अनुभूति होगी कि योगी मनोहरजी इस युग के महान गायक थे, जिन्होंने मार्गी संगीत और शास्त्रीय संगीत का गायन किया। संगीत का अर्थ केवल आलाप, तान और वैचित्र्य तक सीमित नहीं है; सच्चा संगीत इससे परे है और आत्म-उन्नति की ओर ले जाता है।
जब कोई गायक, वादक या नर्तक अपनी प्रस्तुति के माध्यम से श्रोता को दिव्य अवस्था में ले जाता है, तो उसे ‘सम् + गीत’ अर्थात् संगीत कहा जाता है। यह संगीत की आध्यात्मिक परिभाषा है। योगी मनोहरजी ने इस पुस्तक के माध्यम से संगीत जगत को व्यापक और विशाल ज्ञान प्रदान किया है। यह पुस्तक संगीत जगत के लिए एक अनुपम उपहार है। यह पुस्तक हिंदी और मराठी भाषाओं में उपलब्ध है।
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